

(1) भारत अर्थात् इण्डिया देश का चिर-परिचित व गरिमामय संवैधानिक नाम है तथा परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के इस पवित्र मानवतावादी व जनकल्याणकारी संविधान से अपने देश के सभी जाति एवं धर्मों के मानने वाले लोगों का अपार प्रेम, बेहद लगाव एवं सम्मान है जिसे बदलकर व छेड़छाड़ आदि करके इनकी भावना के साथ कोई भी खिलवाड़ करना न उचित और न ही न्यायसंगत।(2) देश के नाम को लेकर संविधान के साथ छेड़छाड़ करने का मौका बीजेपी के एनडीए को यहाँ खुद विपक्ष ने एक सोची-समझी रणनीति व षड़यन्त्र के तहत् अपने गठबन्धन का नाम ‘इण्डिया रखकर इनको दिया है। इस प्रकार यह सब कुछ सत्तापक्ष व विपक्ष की अन्दरुनी मिलीभगत का परिणाम तो कहीं नहीं ?(3) कांग्रेस व बीजेपी द्वारा चुनाव पूर्व इनकी इस राजनीति को अर्थात् भारत बनाम इण्डिया बनाने के इनके इस घिनौने खेल को लोग समझ रहे हैं, जिसकी वजह से अब इन्होंने यहाँ गरीबी, मंहगाई बेरोजगारी व विकास आदि के ये खास व अत्यन्त जरूरी मुद्दे दरकिनार कर दिये हैं। इसीलिए बी.एस.पी. का इन दोनों जातिवादी, साम्प्रदायिक व पूँजीवादी गठबन्धनों से दूरी बनाये रखना पूरे तौर से सही व जनहितेषी भी ।(4) वैसे तो ‘इण्डिया नाम को लेकर बीजेपी व इनके एनडीए को तथा इनकी केन्द्र की सरकार को इसके विरुध माननीय सुप्रीम कोर्ट में जाना चाहिये था या फिर इस मामले में कानून बनाकर सम्बन्धित नाम रखे जाने पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिये था, लेकिन ऐसा नहीं करके इसकी आड़ में जो संकीर्ण राजनीति की जा रही है वह ठीक नहीं है व जनविरोधी भी है।(5) किन्तु अब पूरी उम्मीद है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट इस मामले का खुद संज्ञान लेकर अपने संविधान के साथ किसी भी पार्टी व फ्रन्ट आदि को छेड़छाड़ करने का मौका नहीं देगा : सुश्री मायावती जी।

लखनऊ, 8 सितम्बर 2023, दिन बुधवार बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) की 6 राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ मीडिया को सम्बोधित करते हुये कहा कि जैसाकि यह विदित है कि भारत अर्थात् इण्डिया देश का चिर-परिचित व गरिमामय संवैधानिक नाम है तथा परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के इस पवित्र, मानवतावादी व जनकल्याणकारी संविधान से अपने देश के सभी जाति एवं धर्मों के मानने वाले लोगों का अपार प्रेम, बेहद लगाव एवं सम्मान है जिसे बदलकर व छेड़छाड़ आदि करके इनकी भावना के साथ कोई भी खिलवाड़ करना क्या यह उचित व न्यायसंगत है? जबकि इस मामले में हमारी पार्टी का यह मानना है कि यह कतई भी उचित व न्यायसंगत नहीं है अर्थात् यह घोर अनुचित हैइतना ही नहीं बल्कि इस बारे में सच्चाई यह है कि देश के नाम को लेकर अपने संविधान के साथ छेड़छाड़ करने का मौका बीजेपी के एनडीए को यहाँ खुद विपक्ष ने एक सोची-समझी रणनीति व षड़यन्त्र के तहत् अपने गठबन्धन का नाम ‘इण्डिया’ रखकर इनको दिया है। या फिर यह कहा जाये कि यह सब कुछ सत्तापक्ष व विपक्ष की अन्दरुनी मिलीभगत से हो रहा है इसकी भी आशंका है, जिसकी जितनी भी निन्दा की जाये वह कम है। यदि यह सब कुछ ऐसा हो रहा है तो इसकी जितनी भी निन्दा की जाय वह कम
वैसे भी कांग्रेस व बीजेपी द्वारा चुनाव पूर्व इनकी इस राजनीति को अर्थात् भारत बनाम इण्डिया बनाने के इनके इस घिनौने खेल को लोग अच्छी प्रकार से समझ रहे हैं, जिसकी वजह से अब इन्होंने यहाँ गरीबी, मंहगाई बेरोजगारी व विकास आदि के ये खास व अत्यन्त जरूरी मुद्दे दरकिनार कर दिये हैं। इसीलिए हमारी पार्टी का इन दोनों जातिवादी, साम्प्रदायिक व पूँजीवादी गठबन्धनों से दूरी बनाये रखना पूरे तौर से सही व जनहितेषी भी है।इसके साथ ही, यहाँ मैं यह भी कहना चाहूँगी कि विपक्षी गठबन्धन के इण्डिया नाम को लेकर बीजेपी व इनके एनडीए को तथा इनकी केन्द्र की सरकार को जबकि यह चाहिये था कि इनको लगे हाथ ही इसके विरुद्ध माननीय सुप्रीम कोर्ट में जाना चाहिये था, या फिर इस मामले में कानून बनाकर सम्बन्धित नाम रखे जाने पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिये था, किन्तु ऐसा ना करके अब इसको लेकर जो संकीर्ण राजनीति की जा रही है यह ठीक नहीं है व जनविरोधी भी है।इसलिए ऐसी स्थिति में हमारी पार्टी यह चाहेगी कि अब माननीय सुप्रीम कोर्ट कोखुद इसका संज्ञान लेकर यहाँ ऐसे सभी संगठनों पार्टियों व गठबन्धनों आदि पर तुरन्त रोक लगाना चाहिये, जो विशेषकर अपने देश के नाम पर बने हैं, वरना फिर अपने देश की गरिमा को भी काफी ठेस पहुँचेगी। इतना ही नहीं बल्कि विपक्ष व अब सत्तापक्ष द्वारा भी अपने देश के नाम पर की जा रही इस स्वार्थी व संकीर्ण राजनीति से फिर अपने संविधान के साथ आएदिन छेड़छाड़ करने का किसी को भी खुला मौका मिल जायेगा।अन्त में अब मुझे पूरी उम्मीद है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट इस मामले का खुदसंज्ञान लेकर अपने संविधान के साथ किसी भी पार्टी व फ्रन्ट आदि को छेड़छाड़ करनेका मौका नहीं देगा। इस ख़ास अपील के साथ ही अब मैं अपनी बात यहीं समाप्त करतीहूँ। धन्यवाद
